छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना द्वारा लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में भव्य गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया-
बिलासपुर, दिनांक 27 जुलाई 2025:आरुग न्यूज
छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परंपरा और संस्कृति को जीवित रखने हेतु छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना द्वारा लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान, बिलासपुर में भव्य गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हरेली तिहार के अवसर पर पारंपरिक अंदाज में मनाया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिला-पुरुष सहित स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी निभाई।
कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-अर्चना एवं दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद छत्तीसगढ़ी पारंपरिक मांदर, ढोलक और भजन के साथ गेड़ी दौड़ का शुभारंभ हुआ। प्रतिभागियों ने लकड़ी से बनी पारंपरिक गेड़ी पहनकर दौड़ में भाग लिया, जिससे पूरा मैदान छत्तीसगढ़ी रंग में रंग उठा।
इस प्रतियोगिता में विभिन्न वर्गों — बच्चों, किशोरों, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में दौड़ का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के दौरान कई प्रतिभागियों ने अपने हुनर का शानदार प्रदर्शन किया। जिसमे प्रथम पुरस्कार सौर्य सूर्यवंशी दूसरा पुरस्कार रिकन सोनवानी और तीसरा पुरस्कार उदय कश्यप को दिया गया इसके साथ ही गेड़ी दौड़ में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को मेडल और प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में सर्व छत्तीसगढ़िया समाज को आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने विजेताओं को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रमुख पदाधिकारियों ने की। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा –“हमारा उद्देश्य केवल प्रतियोगिता कराना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है। गेड़ी हमारी पहचान है, और हम इसे हर गली-मोहल्ले तक लेकर जाएंगे।”
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी व्यंजन के रूप में महतारी प्रसाद के रूप में खिचड़ी का वितरण भी किया गया, जिससे उपस्थित जनसमूह को पारंपरिक स्वाद की अनुभूति हुई।
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना द्वारा यह आयोजन पूर्ण रूप से जनसहयोग से संपन्न किया गया, जिसमें ग्रामीण युवाओं, शासकीय कर्मचारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के अंत में संगठन की ओर से यह घोषणा की गई कि हर वर्ष हरेली तिहार के अवसर पर इस प्रकार के पारंपरिक आयोजन किए जाएंगे, जिससे छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखा जा सके।