आरटीआई आवेदन को नजरअंदाज कर रहा है नगर निगम बिलासपुर – जवाबदेही से भाग रहा है प्रशासन-
बिलासपुर। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, जो नागरिकों को शासन के कार्यों में पारदर्शिता और भागीदारी का अधिकार देता है, उसकी खुली अवहेलना नगर निगम बिलासपुर द्वारा की जा रही है। एक नागरिक द्वारा नगर निगम कार्यालय में नियमानुसार आरटीआई आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसकी वैधानिक समयसीमा 30 दिवस है।
हालांकि आवेदन दिए हुए 30 दिन से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक संबंधित विभाग द्वारा न तो कोई सूचना प्रदान की गई है और न ही अस्वीकृति या विस्तारण का कोई औचित्यपूर्ण जवाब।
यह स्थिति न केवल आरटीआई अधिनियम की धारा 7(1) का सीधा उल्लंघन है, बल्कि यह आम नागरिक के अधिकारों का भी हनन है। यह उदाहरण नगर निगम की लापरवाही, गैर-जवाबदेही और पारदर्शिता से दूर भागने की मानसिकता को उजागर करता है।
सूचना माँगना कोई अपराध नहीं, बल्कि एक लोकतांत्रिक अधिकार है। यह चिंताजनक है कि एक शासकीय संस्था द्वारा इस अधिकार को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह व्यवहार यह दर्शाता है कि या तो निगम के पास छिपाने योग्य तथ्य हैं या फिर प्रशासनिक प्रणाली में गंभीर ढिलाई व्याप्त है।
आवेदनकर्ता ने स्पष्ट किया है कि यदि शीघ्र सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती, तो इस संबंध में राज्य सूचना आयोग रायपुर में द्वितीय अपील प्रस्तुत की जाएगी तथा आवश्यकता पड़ने पर जन आंदोलन, धरना प्रदर्शन व मीडिया मुहिम भी चलाई जाएगी।
नगर निगम जैसे महत्वपूर्ण शासकीय निकाय द्वारा आरटीआई जैसे संवैधानिक अधिकार की अवहेलना से आमजन में गहरा रोष व्याप्त है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही की माँग की जा रही है ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाहियों पर अंकुश लगाया जा सके।