अरपा कोलवाशरी के विरोध की गूँज, छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, रलिया-भिलाई में कोलवाशरी के खिलाफ छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना का हल्ला बोल-
कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन, ग्रामीणों ने कहा – जल-जंगल-जमीन बचाना है, कोलवाशरी किसी कीमत पर नहीं बनने देंगे- छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना
बिलासपुर, 20 अगस्त 2025।
मस्तूरी विकासखंड के रलिया-भिलाई क्षेत्र में प्रस्तावित अरपा कोल बेनीफिकेशन लिमिटेड की कोलवाशरी परियोजना को लेकर ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का विरोध लगातार तेज हो रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए इस परियोजना को तुरंत निरस्त करने की मांग की।
ज्ञापन सौंपते समय संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रस्तावित कोलवाशरी से पूरे क्षेत्र का जीवन प्रभावित हो जाएगा। खेतों में राख और कोयले की धूल जमकर फसल को चौपट कर देगी, जिससे किसान परिवार बर्बादी की कगार पर पहुँच जाएंगे। पीने और सिंचाई का पानी दूषित होगा, जिससे इंसानों के साथ-साथ मवेशियों की सेहत पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न होगा। उन्होंने आशंका जताई कि इस प्रदूषण से आने वाले समय में बच्चों और बुजुर्गों में दमहा, फेफड़े की बीमारी और अन्य कई गंभीर रोग फैलेंगे।
जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के जिला अध्यक्ष शैलू ठाकुर ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि सरकार कंपनियों के दबाव में काम कर रही है और ग्रामीणों की राय को दरकिनार कर कोलवाशरी लगाने की कोशिश हो रही है। जबकि खैरा गांव में हुए जनसुनवाई के दौरान भारी विरोध सामने आया था। ग्रामीणों ने एक स्वर में इस परियोजना का विरोध किया था और साफ कहा था कि वे किसी भी हालत में कोलवाशरी लगने नहीं देंगे।
ज्ञापन में छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिला संयोजक अनिल कुमार पाली ने स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि प्रशासन और कंपनी ने ग्रामीणों की आपत्ति को नजरअंदाज करते हुए जबरन कोलवाशरी लगाने की कार्रवाई की, तो छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना गांव-गांव के लोगों को साथ लेकर उग्र आंदोलन शुरू करेगी। यह आंदोलन केवल रलिया-भिलाई गांव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे बिलासपुर और छत्तीसगढ़ में गूंजेगा। संगठन का कहना है कि यह लड़ाई केवल एक परियोजना के खिलाफ नहीं है, बल्कि जल-जंगल-जमीन और छत्तीसगढ़ की अस्मिता की लड़ाई है।
जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के मस्तूरी ब्लॉक अध्यक्ष अजय सूर्या ने कहा कि ग्रामीणों की आवाज को अनसुना करना प्रशासन की बड़ी भूल होगी। अगर किसानों की जमीन, उनकी फसल और उनकी सेहत से खिलवाड़ किया गया, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से शासन-प्रशासन की होगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की जनता अब जाग चुकी है और अपनी जमीन व पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष करने के लिए तैयार है।
कलेक्टर को सौंपे गए इस ज्ञापन में ग्रामीणों के हस्ताक्षर और विरोध संकल्प भी संलग्न किया गया है। इस मौके पर अनिल पाली, शैलू छत्तीसगढ़िया, लोकेंद्र कौशिक, मनोज कौशिक, पीयूष यादव, विशाल कौशिक, संजू भोयरा, पीयूष निषाद, मनोज साहू, लक्षण कौशिक, मुकेश यादव, अजय सूर्या, राजेश कैवर्त, भुनेश्वर निषाद, राम मूरत चौबे,रामायण निषाद, लक्ष्मी साहू और अन्य ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद थे, जिन्होंने नारेबाजी करते हुए परियोजना का विरोध किया और मांग रखी कि सरकार तत्काल इस अनुमति को रद्द करे।
आज सौंपा गया यह ज्ञापन एक बार फिर यह साबित करता है कि मस्तूरी विकासखंड और आसपास के गांवों के लोग कोलवाशरी परियोजना को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। आने वाले समय में यह मुद्दा और भी गरमा सकता है और व्यापक जनआंदोलन का रूप ले सकता है।