मन भुइयाँ सोंच समुंदर…! दुख-सुख तृस्ना इँकरे अंदर…!! कवि जोहन भार्गव जी सेंदरी बिलासपुर

  मन भुइयाँ सोंच समुंदर मन भुइयाँ सोंच समुंदर…! दुख-सुख तृस्ना इँकरे अंदर…!! ऊँच-नीच उतार-चढ़ाव जिनगी…