संपादक के कलम ले- छत्तीसगढ़ी गोठियान नइ हे, छत्तीसगढ़ी सुन्ना अच्छा नइ लगे, फेर छत्तीसगढ़ी गीत म नाच-गाना करना सब ल पसंद हे।
छत्तीसगढ़ी भासा के पीरा बढ़ भारी हे, गोठियाय ले परहेज हे फेर नाच-गाना चल जही।
छत्तीसगढ़ प्रदेश म छत्तीसगढ़ी भासा ल लेके कई तरह के सवाल मन म आथे, काबर की छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद भी आज तक छत्तीसगढ़ी भासा ल गोठियाये बर कई मनखे के मन म संसो रहिथे, काबर के सहर म छत्तीसगढ़ी गोठियाने वाला मनखे आप ल आघु ले नइ मिले, जेखर एक कारण एहू हवय के हिंदी भासा ले मया करईया मन सुरवत ले अइसने माहौल तईयार कर के राखें हवय के आप ल अपन खुद के भासा ल गोठियाये बर अइसने संगी ढूंढे ल लगही जेन पहली ले छत्तीसगढ़ी गोठियाय ल जानथे तभे आप ओखर संग छत्तीसगढ़ी म गोठ कर सकथव, नइ ते सहर म आके सबे मनखे पहली ले छत्तीसगढ़ी गोठ-गोठियाय बर लजाथे।
छत्तीसगढ़ के सहरी क्षेत्र म छत्तीसगढ़ी भासा ल लेके मया देखे ल बहुत कम मिलही, सहर म कोनो गांव के मनखे भी आही जेन ठेठ छत्तीसगढ़िया हे तेन ह सहर म आके आघु ले छत्तीसगढ़ी गोठियाय म सांसों करथे, ऐखर सबले बड़े कारन हवय के सहर में दूसर प्रदेश ले आके निवास करने वाला मनखे मन के संख्या जादा हे, जेमा बयपारी मन के संख्या जादा देखे ल मील जही अउ इहि बयपारी मन जब बयपार करथे त छत्तीसगढ़िया मनखे ल देख के छत्तीसगढ़ी भासा म गोठियाथे, अउ छत्तीसगढ़ी भासा गोठिया के जादा भाव म आप ल समान बेच दिही ऐखर कारन भासा आये जेखर ले प्रभावित होके छत्तीसगढ़िया मनखे मन इंखर जाल म फस घलोक जाथे, तभो ले अपन बोली-भासा संस्करीति के परती छत्तीसगढ़िया मन जागरूक नइ होवय।
छत्तीसगढ़ी भासा ल जन-जन के भासा बनाये बर सबले बड़े बुता हे छत्तीसगढ़ के शासकीय कार्यालय मन म छत्तीसगढ़ी भासा के उपयोग बढ़ाना, जेखर ले छत्तीसगढ़ के मनखे मन बिना लजाये अधिकारी-कर्मचारी मन के संग अपन भासा म गोठिया सकें अउ अधिकारी-कर्मचारी मन छत्तीसगढ़िया मनखे के भासा ल समझ के उंखर समस्या के निदान कर सकें, जेखर से छत्तीसगढ़ी भासा के महत्व सबो कोती बगरही ।