मस्तुरी के पाराघाट का सरपंच प्रदीप सोनी बर्खास्त, आबादी भूमि पर कब्जा करवाने सहित कई अपराधों में रहा है संलिप्त

मस्तुरी के पाराघाट का सरपंच प्रदीप सोनी बर्खास्त, आबादी भूमि पर कब्जा करवाने सहित कई अपराधों में रहा है संलिप्त-

बिलासपुर/ विकासखंड मस्तुरी के ग्राम पाराघाट के सरपंच को बर्खास्त कर दिया गया है। शासकीय भूमि और आबादी पर कब्जा कराने, शासकीय भूमि पर निर्माण एवं गुंडागर्दी के आरोपो की जांच के बाद शिकायत की पुष्टि होने पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई। एसडीएम मस्तूरी द्वारा यह कार्रवाई की गई है। सरपंच के पद पर श्री प्रदीप सोनी कार्यरत थे। धारा 40 के तहत एसडीएम ने कार्रवाई की है। 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगाई गई है। रासुका के तहत कलेक्टर जिलाबदर की कार्रवाई कर चुके हैं। शासकीय और आबादी भूमि पर कब्जा करवाने सहित कई अपराधों में संलिप्त था।

एसडीएम मस्तुरी द्वारा जारी आदेश के अनुसार ग्राम पंचायत पाराघाट के सरपंच प्रदीप सोनी के द्वारा मौजा पाराघाट, पटवारी हल्का न0 22 के शासकीय मद की भूमि खसरा न0 525/1 एवं अन्य शासकीय भूमि मे से लगभग 30-35 एकड़ भूमि को फ्लाई एश से पटाई कर दिया गया है जिससे चारागाह की भूमि समाप्त हो गई है। सरपंच ग्राम पंचायत पाराघाट द्वारा छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 के बनाए प्रावधानों का उल्लंघन कर इस अधिनियम के विरूद्ध कार्य कर रहा है। पूरे प्रकरण की जांच तहसीलदार मस्तूरी से कराई गई। संयुक्त जांच टीम द्वारा ग्रामवासियों एवं शिकयतकर्ता की मौजूदगी में मौका निरीक्षण किया गया। ग्रामवासियों तथा शासकीय भूमि 525/1 पर अवैध कब्जाधारियों द्वारा बताया गया कि सरपंच प्रदीप सोनी द्वारा 525/1 शासकीय भूमि को आबादी भूमि खसरा न0 525/3 बताकर लोगों को आबादी पट्टा वितरण किया गया है तथा घास भूमि खसरा न0 525/1 पर ही निर्माण कार्य हेतु भूमि को चिन्हांकित कर उसी भूमि पर निर्माण हेतु कहा गया।

शिकायतकर्ता छहोरन वस्त्रकार ने बताया कि 45 वर्ष पुराने मेरे कब्जा जमीन को गोचर जमीन कहते हुए उन्हें कब्जे से हटा दिया। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि आबादी घोषित भूमि के अलावा शासकीय भूमि पर भी बेजा कब्जा करा दिया गया। इसमें उनके द्वारा निर्माण कार्य भी कराया जा रहा है। सरपंच को ग्राम में बेजा कब्जा हटवाना चाहिए किन्तु उनके द्वारा आबादी के साथ शासकीय जमीन को बेजा कब्जा खुद ही कराया जा रहा है। न्यायालय जिला दण्डाधिकारी द्वारा पारित आदेश में सरपंच श्री प्रदीप सोनी को पिछले दस वर्षाे से आपराधिक कृत्यों से जुड़ा होना बताया। आपराधिक पृष्ठभूमि में रहने के कारण पूर्व में ही अपराध में संलिप्त रहा है। सरपंच ने वर्ष 2015 से अपने साथियों के साथ मिलकर मार-पीट, जान से मारने की धमकी देने, गाली-गलौच, गुंडागर्दी जैसे गंभीर अपराध घटित कर आम जन को आतंकित करने एवं उनके मध्य भय उत्पन्न करने में संलिप्त है। कलेक्टर ने छत्तीसगढ़ राज्य सुरक्षा अधिनियम 1992 की धारा (5) (क) (ख) के प्रावधानों के तहत सरपंच प्रदीप सोनी को 6 माह की अवधि के लिए जिलाबदर करने का आदेश पारित किया है।

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प्रकरण में आए उपरोक्त तथ्यों, नायब तहसीलदार मस्तुरी से प्राप्त जांच प्रतिवेदन, शिकायतकर्तागण का शपथपूर्वक कथन, जिला दण्डाधिकारी बिलासपुर द्वारा की गई जिला बदर की कार्रवाई से यह तथ्य प्रकट होता है कि सरपंच प्रदीप सोनी जनप्रतिनिधि होते हुए भी विधिविरूद्ध क्रियाकलापों में संलिप्त रहकर समाज विरोधी तथ्यों को बढ़ावा देने जैसे गंभीर अपराध घटित कर आम जनों को आतंकित करने एवं उनके मध्य भय उत्पन्न करने में संलिप्त है। पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत वे अपने कर्तव्यों के निर्वहन में अवचार के दोषी हैं जिसके फलस्वरूप उनको उनके पद पर बना रहना लोकहित में अवांछनीय है। अतः धारा 40 की उपधारा (1)(क)(ख) का उल्लंघन सिद्ध होने पर पाराघाट के सरपंच प्रदीप सोनी को मस्तूरी के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा सरपंच पद से पृथक करते हुए 6 वर्ष की कालावधि के लिए छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (2) के अधीन निर्वाचन के लिए निर्हरित किया गया है।

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