ग्राम घुटकू में अवैध रेत उत्खनन के विरोध में उतरीं सशक्त नारी महसंगठन की महिलाएं

ग्राम घुटकू में अवैध रेत उत्खनन के विरोध में उतरीं सशक्त नारी महसंगठन की महिलाएं-

पंचायत को है महिलाओं से आपत्ति, न्याय की मांग को लेकर महिला समूह ने जिला कलेक्टर से की शिकायत, परंतु कार्यवाही शून्य

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ –
बिलासपुर जिले के अंतर्गत ग्राम घुटकू में अवैध रेत उत्खनन लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे गांव की प्राकृतिक संपदा और जनजीवन पर गंभीर असर पड़ रहा है। इस मुद्दे पर गांव की जागरूक महिलाओं का समूह सशक्त नारी महसंगठन सामने आया है, जो इस अवैध खनन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध कर रहा है।

महिलाओं ने बताया कि रेत के अवैध उत्खनन से जहां एक ओर नदी-नालों का बहाव प्रभावित हो रहा है, वहीं भूमिगत जल स्तर भी तेजी से गिर रहा है। खेतों की उर्वरता समाप्त हो रही है और आने वाले समय में ग्रामीणों की आजीविका पर संकट खड़ा हो सकता है।

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए महिला समूह ने पंचायत को कई बार ज्ञापन दिया और जिला कलेक्टर बिलासपुर को भी आवेदन देकर अवैध रेत उत्खनन पर तत्काल रोक लगाने तथा जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की।

पंचायत का विरोध – महिला समूह पर सामाजिक दबाव

गंभीर चिंता की बात यह है कि इस नेक पहल के बावजूद महिलाओं को अपने ही गांव और पंचायत का विरोध झेलना पड़ रहा है। गांव के प्रभावशाली लोग, जिनकी संलिप्तता खनन कार्य में बताई जा रही है, महिला समूह पर चुप रहने का दबाव बना रहे हैं। पंचायत द्वारा भी महिलाओं की शिकायतों को नजरअंदाज कर उल्टा उन्हें ही दोषी ठहराया जा रहा है कि वे गांव की “शांति भंग” कर रही हैं।

महिलाओं का कहना है कि उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है और अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो उनकी सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।

प्रशासन की चुप्पी से बढ़ रहा असंतोष

महिला समूह ने जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यदि समय रहते जांच और रोकथाम नहीं हुई, तो यह आंदोलन जिला स्तर पर व्यापक रूप ले सकता है।

महिला समूह की मुख्य माँगें:

1. अविलंब अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाई जाए।
2. संलिप्त पंचायत प्रतिनिधियों और ठेकेदारों पर कानूनी कार्यवाही की जाए।
3. ग्राम घुटकू में पर्यावरणीय सर्वे कर नुकसान की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
4. विरोध कर रही महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जाए।

महिलाओं ने छत्तीसगढ़ सरकार से भी अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर ग्रामीण महिलाओं को न्याय दिलाएं और प्राकृतिक संसाधनों की लूट को रोका जाए।

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