आम्बेडकरी मिशन के प्रति शत्रुता जुबान पर आने और उनकी मन-मनसा का GSS घोर विरोध-प्रदर्शन-

आम्बेडकरी मिशन के प्रति शत्रुता जुबान पर आने और उनकी मन-मनसा का GSS घोर विरोध-प्रदर्शन-


बिलासपुर / घोर तिकड़म-साम-दाम-दंड-भेद से बनी RSS/भाजपा सरकार के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे मनुवादियों के दिल-दिमाग की असली बात (बाकी बात तो “जुमला” है) जुबान पर आने (आखिर बकरी की अम्मा कब तक खैर मनाती)- आम्बेडकर साहब के प्रति उनके मानस/मिशनरी पूर्वजों द्वारा कही गई शत्रुता पूर्ण बयान/गतिविधियां- आम्बेडकरी संविधान के प्रति घृणा, अब तिकड़म से अंबेडकरवादियों के बीच फूट पैदा करने वाले दलालों को पैदा करने के बाद “असली आम्बेडकरवादी कितने बचे हैं” का टेस्ट करने बयान दागा गया है।


इनका इरादा समता मूलक धर्म निरपेक्ष आम्बेडकरी संविधान को खत्म कर जातिवादी शोषणकारी व्यवस्था के जनक-पोषक मनुवादी धार्मिक राष्ट्र (लेकिन आम हिंदू जन को भ्रमित करने कथित “हिंदू राष्ट्र” का नारा देकर छलने) की नीति-नीयत बहुत पुराना है।
इसके तहत उनके अनगिनत/असंख्य हाथ/साधन/पैसा काम कर रहा हैं। अब आम्बेडकरी मिशन पर हमला बोलना इनका आखिरी मोर्चा की लड़ाई बचा है।
गांधी-नेहरू को तो लगभग निपटा चुके हैं। (इस निपटाने में कथित गांधी-नेहरू वादियों की अवसरवादी-सत्ता लोलुपता ही इनका हथियार रहा है। लेकिन असली आम्बेडकरी-वाम मिशन वह रक्तबीज की तरह है, जो अपने शहीदी खून से पुनः जीवित होकर जन-संघर्ष को अपनी मंजिल पर पहुंचाकर ही रहता है)।
पुराने समय के दीप छाप कांग्रेसी (जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीप) और अब के कमल छाप कांग्रेसी, मनुवादी-अवसरवादी-पाखंडी ही रहे हैं।

अभी पिछले दिनों सतनामियों के कथित गुरु और कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री रुद्रकुमार द्वारा खुलेआम मंच से सतनामियों को फटकार लगाते “जय भीम” बोलने की मनाही कर रहा था। जिसका विरोध निंदा प्रस्ताव/प्रेस विज्ञप्ति GSS द्वारा जारी किया गया था। ऐसे लोगों की गद्दारी से ही (विभीषणगिरी से) से मनुवादियों का एजेंडा मजबूत होता है। इसलिए सच्चे आम्बेडकरवादियों-संविधान समर्थको को इन विभीषणो का सख्त विरोध करना चाहिए।

हम समस्त संविधान समर्थकों- चाहे वे आम्बेडकरी, गांधीयन, नेहरूवादी, वाम-सोशलिस्ट, आस्तिक- नास्तिक हो, सभी से अपील करते हैं कि, लोकतंत्र आम्बेडकरी संविधान को बचाने एक होना पड़ेगा।

वरना वही होगा जिसकी बात फसिज्म के खिलाफ संघर्ष के समय पास्टर निओमोलो ने अपनी विख्यात कविता में कही थी- “पहले वे आए सोशलिस्टों के लिए, और मैं नहीं बोली। क्योंकि मैं सोशलिस्ट नहीं थी। फिर वे आए ट्रेडयूनियनिस्टों के लिए, और मैं नहीं बोली। क्योंकि मैं ट्रेडयूनियनिस्ट नहीं थी। फिर वे आए यहूदियों के लिए, और मैं नहीं बोली। क्योंकि मैं यहूदी नहीं थी। फिर वे आए मेरे लिए, और तब मेरे लिए बोलने वाला कोई नहीं बचा था”।


गुरुघासीदास सेवादार संघ (GSS) सभी से इन पुरातन- मनुवादी और अब के नव फासीवादी ताकतों के खिलाफ निर्णायक जन संघर्ष संगठित करने का आवाहन करता है।

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