सम्यक बौद्ध विहार संजय नगर तालापारा में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ संपन्न
सम्यक बौद्ध विहार संजय नगर तालापारा बौद्ध अनुयायियों तथा अंबेडकरवादी विचारधारा के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 134 जन्म जयंती हर्षोल्लास के साथ बौद्ध विहार के समीप मनाई।
बिलासपुर/ आरूग न्यूज़ / सम्यक बौद्ध विहार द्वारा आयोजित जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जे पी वर्मा कॉलेज के प्राचार्य निराला जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा ही हम सबके जीवन में उजाले की किरण ला सकता है बाबा साहब शिक्षा के लिए बचपन से जो उन्होंने संघर्ष किया और संघर्ष करके पढ़ाई की आज वहीं शिक्षा उन्हें भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में जयंती मना रही नहीं, बल्कि एक भगवान के रूप में पूजा कर रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयुष्मान बसंत ओंकार जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बाबा साहब को नव भाषाओं का ज्ञान था उन्होंने अनेक विश्व में पीएचडी की, महिलाओं को बराबर का सम्मान दिलाया आज बाबा साहब नहीं होते तो शायद ही हम और आप सभी को इन मनुवादियों के बीच बराबर का सम्मान हमें मिलता।
विगत कई दिनों से बोधगया में चल रहे आंदोलन पर भी अपने विचार रखें
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित कमलेश लवहात्रै ने इस पावन अवसर पर खासकर माता बहनों से कहा कि अपने परिवार के हर सदस्यों को शिक्षा जरूर दिलाए यह मान ले की हमारे पास हमारी पूंजी सिर्फ और सिर्फ शिक्षा ही है
लवहात्रै ने रमा आई की उसे घटना की भी जिक्र करते हुए कहा कि बाबा साहब जब अध्ययन करने विदेश जाने वाले थे इसी दरमियान अपनी पत्नी से बात करते हुए कहा था कि यदि हमारी पुत्री होगी तो उसका नाम इंदू रखना और कुछ समय पश्चात बाबा साहब अध्ययन करने विदेश चले गए इंदौर बाबा साहब को पुत्री प्राप्ति होती है इसकी जानकारी वह बाबा साहब को देती है जिससे बाबा साहब काफी प्रसन्न होते हैं और माता रमाई को कहते हैं कि उसे मेरी ओर से विशेष प्यार करना ।समय बिता जाता है बाबा साहब विदेश में अध्ययन करते हैं अचानक उनकी प्रिय पुत्री हिंदू की तबीयत खराब हो जाती है तब अचानक बाबा साहब का पत्र रमाआई को मिलता है उसे पत्र में लिखा होता है कि रामा मेरे पास जो पैसा था वह खत्म हो गया तुम्हारे पास से भी कुछ पैसा हो तो मुझे भेजो एक तरफ इंदू की बीमारी दूसरी तरफ बाबा साहब की अधूरी पढ़ाई, रमाआई सोचती है कि आज मैं अकेले अपनी पुत्री के बारे में सोचूंगी तो बाबा साहब का तो पूरे भारत में पुत्री है बहाने हैं उनका क्या होगा रामाआई अपने पास जो पैसा होता है उसे बाबा साहब के पास भेज देती है और पैसे के अभाव में इंदू की मौत हो जाती है आज हम सबको उनके बलिदान को याद रखना होगा यदि बाबा साहब का अध्ययन पूरा नहीं हो पता तो शायद ही वह संविधान लिख पाते इसको हम सब जरुर याद रखें और अपने बच्चों को शिक्षा अवश्य दिलाए लवहात्रै ने आगे कहा कि देश में कुछ ऐसी ताकते जो संविधान को बदलने की सोच रही है जिसे हम सबको संभालना है तभी बाबा साहब के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
जयंती समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में राजेश रामटेक दिलीप मेश्राम, बंजारे जी ने भी तथागत के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर तथा मोमबत्ती जलाकर उन्हें अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित की, जयंती समारोह का सफल संचालन पूर्व पार्षद समाज सेवा में अग्रणी पंक्ति में हमेशा खड़े रहने वाले जितेन भावे जी ने अपने विचार रखें, सम्यक बौद्ध विहार संजय नगर तालापरों में वहां की पार्षद श्रीमती संतोषी राम बघेल ने बाबासाहेब के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके बताए हुए मार्गदर्शन पर सभी चले । बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता मनोरंजन मेश्राम जितेंद्र चौरे अनूप बिसूका अध्यक्ष घासीया समाज ने समस्त अतिथियों का पुष्प माला से स्वागत किया व सभी का आभार व्यक्त किया।