वोट बेचात हे…!!
अद्धी पउवा अउ नोट म, वोट बेचात हे…!
महतारी बर मया-दया ह सिरात हे…!!
काला बरजबे काला अब समझाबे तयँ
काला छांदबे काखर करम देखाबे तयँ
सब्बेच बइला, भट्ठी म ठुढ़ियात हे…!
महतारी बर मया-दया ह सिरात हे…!!
करगा बदरा मनखे मन, हदरहा होगे
नसा मतउना महुरा के टकरहा होगे
कुकरा मछरी दारू म अँटियात हे…!
महतारी बर मया-दया ह सिरात हे…!!
गाल पचक गे आंँखी धँस गे जवानी म
जांघ भुजा के माँस चटक गे जवानी म
सिघल हड्डी वाला घलो टेड़ुवात हे…!
महतारी बर मया-दया ह सिरात हे…!!
सरकार घलो यमराज के दलाल होगे
दारू पीया-पीया के मालामाल होगे
दरूहा के घर-दुरा, रोज खियात हे…!
महतारी बर मया-दया ह सिरात हे…!!
दारू के बलदा, वोट देहे म लाज नईं हे
छत्तीसगढ़िया मन के, गढ़ म राज नईं हे
छत्तीसगढ़ म, बिहारीवाद तनियात हे,…!
महतारी बर मया-दया ह सिरात हे…!!
अब तो महिला पुरुष के एक्के हाल होगे
पइसा के सुर ताल म सबके चाल होगे
देस भक्ति सुक्खा तरिया म बोजात हे…!
महतारी बर मया-दया ह सिरात हे…!!
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर छत्तीसगढ़